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रक्षाबंधन पर न करे ये गलती Rakshabandhan

raksha bandhan भाई-बहन के खूबसूरत रिश्ते को समर्पित त्योहार है. इस बार रक्षाबंधन 22 अगस्त रविवार को मनाया जायेगा। ये त्योहार हर साल सावन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं ( जिसे हम राखी कहते हैं) और उनके सुखी जीवन की कामना करती हैं। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले देवी लक्ष्मी ने राजा बली को राखी बांधकर अपना भाई बनाया था। 

रक्षाबंधन पूजा का विधि:

-राखी वाले दिन सबसे पहले सुबह स्नान करके पवित्र हो जाएं और देवताओं को प्रणाम करें। 

-फिर एक थाली लें, आप चाहें तो चांदी, पीतल, तांबा या फिर स्टील की थाली भी ले सकते हैं। फिर इस थाली में राखी, अक्षत और रोली रखें।


राखी बांधने का शुभ मुहूर्त:

राखी बांधने का समय – सुबह 06:15 से शाम 05:31 बजे तक

राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त – दोपहर 01:42 से शाम 04:18 बजे तक

राखी वाले दिन भद्रा अंत का समय – 06:15 AM



बहन की रक्षा करने का भाई लेता है संकल्प

रविवार, 22 अगस्त को रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाएगा। हर साल सावन मास में पूर्णिमा तिथि पर भाई- बहन का यह पवित्र त्योहार मनाया जाता है। इस दि बहन भाई को राखी बांधती है और भाई बहन को उपहार देता है और जीवनभर बहन की रक्षा करने का वचन  देता है



इस बात का रखें ध्यान...

राखी खरीदते या बांधते समय कुछ खास बातें ध्यान में रखनी जरूरी हैं. जाने-अनजाने में बाजार से राखियां लाने में टूट जाती हैं और हम उसे वापस जोड़कर सही कर लेते हैं. अगर कोई राखी खंडित हो जाए तो उस राखी का प्रयोग भाई की कलाई पर नहीं करना चाहिए.



ऐसे बांधें राखी

– थाली में रोली, चंदन, अक्षथ, दही, रक्षासूत्र और दही रखें।


– घी का एक दीपक भी रखें, जिससे भाई की आरती करें।


– रक्षा सूत्र और पूजा की थाली सबसे पहले भगवान को समर्पित करें।


– इसके बाद भाई को उत्तर या पूर्व की तरफ मुंह करवाकर बैठाएं।


– पहले भाई के तिलक लगाएं, फिर राखी बांधे और आरती करें।


– इसके बाद मिठाई खिलाकर भाई की मंगल कामना करें।


– रक्षासूत्र बांधने के समय भाई और बहन का सर खुला नहीं होना चाहिए।



 परंपरा...

रक्षाबंधन का पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। कई पुरातन धर्म ग्रंथों में इस पर्व का उल्लेख मिलता है। श्रावणी पूर्णिमा के दिन कलाई पर रक्षासूत्र बांधने की परंपरा वैदिक काल से ही चली आ रही है। प्राचीन काल में पुरोहित राजा और समाज के वरिष्ठजनों को इस दिन रक्षा सूत्र बांधा करते थे। कई जगह इस बात का भी जिक्र मिलता है शिष्य इस दिन अपने गुरुओं को रक्षासूत्र बांधते थे।



राखी पर बन रहे हैं योग और नक्षत्र

पंचांग के अनुसार 22 अगस्त, रविवार यानि रक्षाबंधन पर प्रात: 06 बजकर 15 मिनट से प्रात: 10 बजकर 34 मिनट तके तक शोभन योग रहेगा, धनिष्ठा नक्षत्र शाम को करीब 07 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. 22 अगस्त 2021 को दोपहर 01 बजकर 42 मिनट दोपहर से शाम 04 बजकर 18 मिनट तक, राखी बांधना सबसे शुभ रहेगा. राखी का पर्व इस दिन शुभ संयोग में मनाया जाएगा. इस दिन रक्षा बंधन पर शुभ योग बन रहा है. पंचांग के अनुसार दो विशेष शुभ मुहूर्त का योग इस बार रक्षा बंधन पर बन रहा है. पूर्णिमा की तिथि पर धनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग रहेगा


सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है raksha bandhan 

रक्षाबंधन का त्योहार सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार ये त्योहार 22 अगस्त यानी रविवार को है. वैदिक काल में सावन पूर्णिमा को रक्ष पूर्णिमा भी कहा गया है.



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